# ज़िन्दगी कुछ ऐसी भी

(Zindagi Kuch Aisi Bhi)

कभी कभी गलती कोई और करता है, भोगना किसी और को पड़ता है। हाँ ऐसा भी होता है, कि जरुरी नही गलती जिसने की हो वही भुगते। जरा सोचिये कभी इसी प्रकार का कुछ हुआ हो आपके साथ या कभी किसी को ऐसे ही इस्थिति मे देखा हो? कभी कभी तो ऐसा भी होता है की किसी की गलती भी न हो परंतु तब भी कोई बेचारा उस गलती की वजह से भोग भोग रहा हो।

आप सोच रहे होंगे की ये ख्याल मेरे ज़हन मे कैसे आया? हाल ही मे मैंने एक महान लेखक जिनको 'कलम का सिपाही' कहा जाता है, उनका एक प्रसिद्ध 'निर्मला' उपंन्यास पड़ा। उपन्यास एक लड़की की ज़िन्दगी पर लिखा गया है। जिसमे उसके बचपन से लेकर उसके बुढ़ापे तक की ज़िन्दगानी बताई है। आज उसी कहानी के माध्यम से ज़िन्दगी के कुछ कड़वे सवाल के जवाब खोजते हैं।

कहानी शुरू होती है निर्मला के बचपन से, जो की एक हर सामान्य बच्चे के बचपन जैसा होता है, सपनो से भरा, किलकारियों से सजा। परेशानी शुरू होती है उसकी शादी को लेकर, और यही से हमारे सवाल बुनने शुरू होते हैं। होता यह है की उसकी शादी एक अच्छे घर मे तय हो जाती है। तैयारी धूम धाम से होती है परंतु उसी बीच उसके पिता की अचानक से तबियत ख़राब हो जाती है, और दुर्भाग्यवश उनकी म्रत्यु हो जाती है। बस यही से काली घटा छानी शुरू हो जाती है। लड़के वाले इस घटना के होने के बाद रिश्ता तोड़ देते हैं। परंतु अब शादी तोह होनी ही है निर्मला की, अताः बड़ी परेशानी के बाद उसकी शादी एक पहले से शादी शुदा व्यक्ति से तय होती है जो की उससे करीब करीब दुगनी आयु का होता है। उस व्यक्ति के दो बच्चे होते है और एक उसकी बड़ी बहन जो की विधवा होती है, सब एक घर मे रहते हैं।

सारे सपने एक झटके मे मिटटी हो गये। बच्चे, निर्मला को कभी माँ नही मानते थे। उसके पति की बहन शुरू से ही उससे चिढ़ती थी। इसलिए निर्मला का भी कभी मन नही लगा। उसके पति ने हर कुछ प्रयास किया निर्मला को खुश रखने को परंतु स्थिती और ख़राब हो गयी। उसका एक बच्चा माँ के गम मे मर गया और दूसरा जो छोटा था तोह वह रोज़ रोज़ की डाट से घर से भाग गया। अंत मे निर्मला बीमार हो गयी और वह मर गयी।

कहानी काफी शोर्ट मे बताई मैंने आपको, असल कहानी और भी दर्दनाक है। सवाल यह उठता है की गलती आखिर किसकी थी ?

सबसे पहले उसकी माँ से चलते हैं। क्या निर्मला की माँ की गलती थी कि उसने अपनी बेटी का रिश्ता एक ऐसे व्यक्ति से कराया जो की उसके उम्र मे लायक नही था? नहीं उनकी गलती नही थी, वह इसलिए की उनकी स्थिती ही ऐसी थी की वह मजबूर थीं, क्योंकि एक तोह उसके पिता की मृत्यू हो गयी थी, अताः आप तोह जानते ही हो पहले के ज़माने मे इसका क्या असर होता होंगा शादी को लेकर। दूसरा, शादी तोह जरूरी थी और जब कोई तैयार नही हो तोह बड़े उम्र वाला भी व्यक्ति भी मिलने मे कोई हर्ज़ नही। ध्यान रखिये ये आज का ज़माना नही है। पहले और आज के ज़माने मे फर्क था। आज तोह...

अब क्या उस व्यक्ति की गलती है? पता नही। उसने तोह ऐसा सोचा की उसके बच्चो को माँ मिल जायेगी और घर की स्थिती थोड़ी सुधर जायेगी। अब गलती इस व्यक्ति की है या नही इसका जवाब मे आपके ऊपर छोड़ता हूँ।

बच्चो की तोह क्या ही गलती बताऊँ। बच्चो का तोह वैसे भी सब माफ़ ही होता है। उन्हें क्या पता सही क्या गलत क्या। यदि बच्चे निर्मला से घुल मिलते तोह शायद घर की स्थिती थोड़ी सही हो जाती।

उस व्यक्ति की बहन का तोह क्या ही बोलूं। वैसे भी ऐसे रिश्ते मे नफरत करना तो सामानय है, आखिर घर पर अधिकार की बात आ जाती है।

अब आखरी किरदार खुद निर्मला बची। आप ये बताओ कि इन् सब मे उसकी क्या गलती थी? उसने तोह किसी का बुरा नही करा। नय घर को भी अपना माना। सब प्रयास करे घर जोड़ने के। फिर क्यों उसकी ऐसी दर्दनाक ज़िन्दगी रही? इसका जवाब तोह खुद दुनिया रचने वाले के पास भी नही होगा।

कभी कभी ऐसा भी होता है की गलती कोई भी जानकार नही करता परन्तु उसका असर किसी और की ज़िन्दगी पर पड़ता है। कई बार हम न जाने किसकी गलती का बोझ उठा लेते हैं या किसका बोझ बन जाते हैं। जिंदगी मे कुछ घटनाओं को समझना हम सब से परे है। बहुत बार हम बेवजह दुःख झेलते हैं और उसी दुःख को झेलते झेलते इस ज़िन्दगी का दी एन्ड हो जाता है।

खैर मेरे सवाल का, हो सकता है आपके सवाल का भी जवाब न मिला हो, पर मैं ये अवश्य समझ गया कभी कभी ज़िन्दगी अलग तरह से ही चलती है। लोग कहते हैं की लाइफ आपके हाथ मे है ,जैसे चाहे वैसे मोड़ दो। पर मेरे दोस्त हर बार ऐसा होना जरुरी नही। यकीन करो या न करो ये आपका फैसला है। धनयवाद !

Ayush P Gupta
14 Aug 2018