# Uski Aakhein aur Sharab
Iss vartalap ki shuruat uski aakhon se hui thi, jiski wajah se mere aur sharab ke beech thoda tanav ho gya. Aaiye sunte hain isse sharai andaaz mai.
Achanak ek din maine sharab se kuch aisa keh diya:
पहली दफा शराब मुझसे ख़फ़ा हो बैठी,
मैंने तुमारी आंखों को उससे ज्यादा नशीली कह दिया ||
iss par sharab gusse mai boli:
नशीली होने का ख़िताब सिर्फ मुझे ही मिला है,
उस नायाबी की आखों में नशा मैंने ही घोला है
haste hue uss nadan sharab ko maine keh diya:
शराब तू भी क्या अपनी बुद्धि खो बैठी है
उस कुदरत के करिश्मे को अपना नाम दे रहीं है
sharab ne bhi haste hue keh diya:
तुम्हारे नायाब का नूर बस पल भर का है
मेरे नशे का खुमार जिंदगी भर का है
तुम्हारा नायाब फूल ही तो है, झड़ जाएगा
मेरा नशा शोला है, जिंदगी भर जलायेगा
bhadakar iss par maine sharab ko bola:
तू सबसे चतुर है, ये तेरा ख्वाब है,
मेरे घर तेरी तरफ देखना भी घोर गुनाह है
मेरे फूल सा किरदार जिंदगियां महका जाता है,
तेरे नशे का खरीदार जिंदगियां बर्बाद कर देता है
sharab ne khud ko bachate hue kahan:
जा कर ले मुहब्बत उस हुस्न की परी से,
पलट के वापस ना आना मेरे दरवाजे की चौखट पे
जरूरी नहीं हर चीज तुम्हारे भले के लिए ही हो
जहरीला सांप ही नहीं, क्या मालूम इंसान ही हो
To be contd...